Search This Blog

Thursday, 12 March 2015

बरास्ता दिल से

तेरी याद जो रग रग  में
समाई है लहू बन कर ,
बरास्ता दिल से
गुजरती है हरदम  ……
वो पल जो करीब आ कर
बिताये थे हमने ,
अनायास ही
उम्र बढ़ा  गए मेरी  ..
भुला देने का वादा 
पूरा करें भी तो कैसे ?
धड़कने लिखा करती  हैं ,
तेरा नाम
मैं जहाँ से गुजरता हूँ …………

अनिल कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment