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Tuesday, 23 February 2016

घर छोडते नहीं

आँख में आँसू लिए पुकारता है आसमां ,
न जाओ मेरे सितारों यूं ही टूट कर,
मेरे दामन ने बड़े प्यार से पाला है तुम्हें ,
घर छोडते नहीं कभी भी रूठ कर ,
खींचता है तुम्हें दूर का आकर्षण,
राह में मिलेगा वायु का भी घर्षण ,
कुछ पल में बिखर कर जल जाओगे,
राख हो कर खाक़ में मिल जाओगे ,
जो भी गया अपने घर को छोड़ कर ,
छला गया वह जीवन के हर मोड़ पर .....
न जाओ मेरे सितारों यूं ही टूट कर
घर छोडते नहीं कभी भी रूठ कर.......
अनिल कुमार सिंह

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