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Thursday, 5 May 2016

मैं कविता हूँ

विरासत लुट गई कब की...
बस शेष हैं तो दीवारों पर
सहमी सी कुछ तस्वीरें...
मैं कविता हूँ....
जीना चाहती हूँ...
बस, तस्वीरों पर गर्द ठहरने न पाये....

अनिल

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