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Tuesday 30 October 2012

जल उठा फैजाबाद

हालात अंगड़ाई ले रहे हैं फिर से रफ़्तार पकड़ने के लिए ,कुछ लफंगों के करतूतों ने जैसे सभ्यता को कलंकित कर दिया,सांप  के निकल जाने के बाद लकीर पीटना फालतू और सियासतबाज़ों का काम है,आम आदमी को सबसे पहले अपनी कमाई और काम  की चिंता है. आपसी सोहार्द की जड़ें गहरी हैं , फिर से  ज़िन्दगी रफ़्तार पकड़ेगी और फिजां की कड़वाहट कम होगी , आपसी भाईचारे की मिशाल के ढेरों उदाहरण इस जुड़वाँ शहर को गौरवान्वित करते आये हैं और करते रहेंगे बस जरा से धैर्य और संयम की जरूरत है।

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