राहू और केतु दोनों ही भगवान शिव से इसलिए नाराज़ हुए कि उन्हें भगवान शिव बाराती बना कर नहीं ले गए थे, दोनों को संतुष्ट करने के लिए भोले शंकर ने आशीर्वाद दिया कि अब जितनी भी बारातें होंगी तुम दोनों उस बारात के हर बाराती पर सवार रहोगे ,दोनों इतना बड़ा आशीर्वाद पा कर बड़े खुश हुए ,और बिना बताये चुपचाप हर बाराती पर सवार होने लगे और आजतक होते है ,जरा सोचिये की बरात में जाने के लिए तैयार होने वाला वो बाराती जो एक दिन पहले ही अपने कपड़ों को ड्राई क्लीन करवा कर पहनता है, भला नागिन डांस पर सड़क या कच्चे रास्ते पर लोट पॉट होते समय, उसको उन कपड़ों का ख्याल कहाँ चला जाता है. जो उम्र भर कभी नहीं नाचा वह भी साईकिल में हवा भरने वाला या पतंग डांस जरूर करता है, सिम्पली चलते समय देखिये चाल में मंदता और तनाव उस पर गर्दन एकदम सीधी तनी हुयी ,बुज़ुर्ग भी अपने गमछे को कंधे पर बार बार सँभालते हुए सफ़ेद मूंछों पर ताव देते नज़र आते है जैसे सब उन्ही को देख रहे हों ,सब बारातियों पर मस्ती का आलम ऐसा होता है की दूल्हा बेचारा पीछे ही छूट जाता है ,महिलायें भी जहाँ बारात में शिरकत करती है उनकी तो बात ही न पूँछिये ,जिस मेकअप को कुछ देर पहले बहुत अच्छा और महंगा वाला कहते हुए पुतवाया था वह बार बार टिश्यू पेपर या रुमाल की भेंट चढ़ जाता है ,क्या करें डी जे की धुन इतना नचाती है कि सर्दी में भी पसीना आ जाता है ,गरमी की तो बात ही छोड़ दीजिये ,एक गाना शुरू नहीं होता की दूसरे की फरमाइश हो जाती है ,जाड़े में पतली साड़ी में भी ठण्ड नहीं लगती , शॉल ली भी तो कंधे पर दिखाने के लिए ,द्वार पूजा पर पंहुचते ही तो राहू केतू का असर और ही बढ़ जाता है, बड़ी जोर की भूख लगने लगती है भाई ,फिर क्या जितना रोज़ खाते है उसका तीन गुना खाने के बाद भी लगता है की ,अभी तो सारे स्टाल पर नहीं जा पाये ,खाना खाते ही तो राहु केतु शांत हो जाते हैं मानो उन्हें भोग लगा दिया गया ,फिर कोई बिस्तर ढूंढता नज़र आता है, कोई घर वापसी की तैयारी करता है ,सारा सुरूर उतर जाता है, बाराती वाली चाल भी चुश्त हो जाती है ,शादी तो होनी ही है हो ही जाती है ......... राहू केतु की अनजाने में बहुत सेवा हो जाती है ......
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Tuesday, 24 March 2015
Sunday, 22 March 2015
Tuesday, 17 March 2015
मेरे हाथों की मेहंदी की गुज़ारिश है ,
तुम अपनी चौखट फूंलों से सजा लेना
दरों दीवारों को स्याह रंगवा देना,
मैंने आँचल में सितारे जड़ा रखे हैं ,
नमी वाली रात- रानी की खुशबू में
यूँ महसूस का सकूँ मैं अपने चाँद को ,
छू लेने को बेताब नरम हथेलियों से ,
....जिसे अब तलक बस दूर से देखा है .......
तुम अपनी चौखट फूंलों से सजा लेना
दरों दीवारों को स्याह रंगवा देना,
मैंने आँचल में सितारे जड़ा रखे हैं ,
नमी वाली रात- रानी की खुशबू में
यूँ महसूस का सकूँ मैं अपने चाँद को ,
छू लेने को बेताब नरम हथेलियों से ,
....जिसे अब तलक बस दूर से देखा है .......
अनिल कुमार सिंह
Thursday, 12 March 2015
Tuesday, 3 March 2015
Monday, 2 March 2015
होली का चाँद
रंगीन चाँदनी से
आकाश जगमगाया,
होली का चाँद कैसे
सज संवर के आया,
अपनी हथेलियों में
गुलाल भर के लाया,
ओ कलियों जरा बच के
भँवरे हैं स्वांग रच के ,
फूलों ने किस अदा से
तितली का रंग चुराया
होली का चाँद कैसे .....
दे दो हमें आज़ादी
ओ नई नवेली भाभी,
निकला जो तुमको छू कर
गुलाल मुस्कराया,
होली का चाँद ......
आम है बौराया
और खेत है सरसाया ,
गेहूं की बालियों में है
दूध उतर आया,
होली का चाँद .......
सबको गले लगा लो,
हर भेद तुम भुला दो,
रंग जाओ एक रंग में
मधुमास गुनगुनाया,
होली का चाँद कैसे
सज़ सँवर के आया
अपनी हथेलियों में
गुलाल भर के लाया .......
anil kumar singh
भँवरे हैं स्वांग रच के ,
फूलों ने किस अदा से
तितली का रंग चुराया
होली का चाँद कैसे .....
दे दो हमें आज़ादी
ओ नई नवेली भाभी,
निकला जो तुमको छू कर
गुलाल मुस्कराया,
होली का चाँद ......
आम है बौराया
और खेत है सरसाया ,
गेहूं की बालियों में है
दूध उतर आया,
होली का चाँद .......
सबको गले लगा लो,
हर भेद तुम भुला दो,
रंग जाओ एक रंग में
मधुमास गुनगुनाया,
होली का चाँद कैसे
सज़ सँवर के आया
अपनी हथेलियों में
गुलाल भर के लाया .......
anil kumar singh
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