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Sunday 31 July 2016

कमजोर दिल सत्य

छद्म चेहरों ,छद्म बातों ,
छद्म मुस्कुराहटों से,
सत्य मिलता है उलझ कर
अपनी साँसों से,
नत मस्तक खड़ा रहता है
सड़क के किनारे,
देखता है फर्राटा भरते,
लोभ,दंभ और अनाचार को ,
उसके लिए सड़क
खून से सना हुआ अखबार है,
सत्य में अब वो साहस नहीं,
अत्यधिक कुचले जाने से ,
कमजोर दिल हो गया है
अपनी ही मौत की खबर को अखबारों में पढ़ नहीं पाता ....

अनिल

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