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Sunday 31 July 2016

करगिल ...

खूँ से अपने जहां लिख दिया था “जय हिंद“,
शहीदों के उन निशानों को, हम मिटने नहीं देंगे,
बेशक चले जाओ जहां है तुम्हारी जन्नत,
ये ज़मीं जन्नत है हमारी, हरगिज़ नहीं देंगे,
गर मादरे वतन से तुमको नहीं मुहब्बत,
कसम शहीदों की, तुम्हें जीने नहीं देंगे.......
अनिल

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