Search This Blog

Tuesday 5 May 2015

देखो कौन कहाँ मिलता है?

"देखो कौन कहाँ मिलता है ?"

जैसी जहां की मिट्टी मौसम,
वैसा फूल वहाँ खिलता है,
जीवन के लंबे रस्ते में
देखो कौन कहाँ मिलता है ? .....

टूटी फूटी ऊबड़ खाबड़
यादों का कमजोर खंडहर ,
मेघ अभ्र सा रूप बदलता
साथ साथ अपने चलता है ,
याद सदा किसको रहता है ,
देखो कौन कहाँ मिलता है ?.....

नज़रें झुका कर,रूप बचा कर ,
शरमा कर कोई मिलता है,
मिलता कोई बांह पसारे,
गले लगा कर भी मिलता है ,
प्रेम कोष रिक्त हो जिसका
उसको कहाँ जहां मिलता है
देखो कौन कहाँ मिलता है? ......

शीर्ष ध्येय की पगडंडी पर
चलते रहना भ्रमित न होना ,
घर का आँगन,माँ का आँचल ,
दृग पलकों से बहता काजल,
मोह पाश बन कर छलता है,
देखो कौन कहाँ मिलता है?....

सागर से स्थिर चितवन में
प्यास बुझाने नदियां आती ,
प्यासे मोती कवच तोड़ते
और कहीं गरल घुलता है ,
सागर का संयम कहता है ,
देखो कौन कहाँ मिलता है ?...

अनिल कुमार सिंह
9336610789
आकाशवाणी फ़ैज़ाबाद

No comments:

Post a Comment