मर गया?
मर जाने दो,
उसके दर से वोट बैंक का
रास्ता नहीं गुजरता,
सियासत गर्म होने दो,
आम आदमी उबलने दो,
कि सियासत मरने वाले का वर्ग देखती है,
नफे नुकसान और विभव काे देखती है,
मरो या जियो किसे फिक्र है तुम्हारी ,
हॉं, तुम्हारा घर वोट बैंक के रास्ते पर नहीं पड़ता.....
अनिल कुमार सिंह
मर जाने दो,
उसके दर से वोट बैंक का
रास्ता नहीं गुजरता,
सियासत गर्म होने दो,
आम आदमी उबलने दो,
कि सियासत मरने वाले का वर्ग देखती है,
नफे नुकसान और विभव काे देखती है,
मरो या जियो किसे फिक्र है तुम्हारी ,
हॉं, तुम्हारा घर वोट बैंक के रास्ते पर नहीं पड़ता.....
अनिल कुमार सिंह
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