टाँक दो नभ के सितारे आज अपने आँचल में ,
उतार दो इन बादलों को आज अपने काजल में ,
आज हमने हौसलों के पंख हैं लगा लिए,
गगनचुंभी पर्वतों ने शीश हैं झुका लिए ,
रूढ़ियों के पत्थरों को पिघलाने की तैयारी है,
नारी शक्ति की हुंकार है "ये सदी हमारी है" ! ये सदी हमारी है !
उतार दो इन बादलों को आज अपने काजल में ,
आज हमने हौसलों के पंख हैं लगा लिए,
गगनचुंभी पर्वतों ने शीश हैं झुका लिए ,
रूढ़ियों के पत्थरों को पिघलाने की तैयारी है,
नारी शक्ति की हुंकार है "ये सदी हमारी है" ! ये सदी हमारी है !
अनिल कुमार सिंह...
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