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Wednesday 15 July 2015

सीता राम बोले अयोध्या नगरी सारी,
सदियों से व्याकुल है कैसी लाचारी ।
मेला का रेला है कछु दिन क खेला ,
भीड़ घटी गलियन में भूखे भिखारी ,
सीता राम धुन सत्तोंह बजत है ,
मंदिर बहुत और थोड़े पुजारी .........

नंगे पाँव भक्त धरे गठरी कपारी,
सतुआ और भूजा संग सुर्ती सुपारी ,
पुलिस पिशाच लिए हाथे में डंडा ,
खदेड़े हैं सबका नर हो या नारी .......
ज़ोर ज़ोर पुकारें प्रसाद व्यापारी ,
रास्ता रोकें रिक्शा , गइया महतारी ,
धड़ धडाय धुआँ उड़ावत चलत है ,
टंपू हैं ज्यादा और कम है सवारी ......
हनुमत लला से कहें कनक बिहारी ,
व्यर्थ लंक जारि रावण को मारी ,
एक एक पापी आय भोग चढ़ावें ,
मारे के गुंडा बने तोहरे दरबारी...
सीता राम बोले अयोध्या नगरी सारी,
सदियों से व्याकुल है कैसी लाचारी ।
अनिल

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