daideeptya
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Thursday, 13 August 2015
रात भर रोया है सावन
रात भर रोया है सावन
पल भर नहीं सोया है सावन
बज रहे बूंदों के घुँघरू
अब नहीं बजती है पायल ....
पूंछती गिर गिर के बूंदें
क्यों है सूना सूना आँगन ...
रात भर रोया है सावन
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