ऐ जमाने तूँ मुझे हौसले न दे ,
गर दे तो जख्म दे कि मेरे हौसले बढ़ें,
दूर ही सही मंज़िलों के वो निशां ,
मुझसे नज़र मिलें तो खुद मजिलें चलें ।
गर दे तो जख्म दे कि मेरे हौसले बढ़ें,
दूर ही सही मंज़िलों के वो निशां ,
मुझसे नज़र मिलें तो खुद मजिलें चलें ।
अनिल
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