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Saturday 1 August 2015

तेरी मुहब्बत

सूखे पत्ते भी तेरी खुशबू से थिरक जाते हैं ,
तेरे दीदार को बैठे हैं मिट जाने से पहले ,
तेरे साथ मुहब्बत ने मुड़ कर नहीं देखा ,
ये खुद ही महकते थे तेरे जाने से पहले ।
एक बार चले आओ कि चमन खिल जाए ,
पथराई खामोश नज़रों को नमीं मिल जाए ............

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