छलकते जाम से कतरा बचा कर
छटपटाती प्यास को प्याले दे दो,
मस्तियों की थालियों के शेष से,
भूख से बिलखते को निवाले दे दो,
छटपटाती प्यास को प्याले दे दो,
मस्तियों की थालियों के शेष से,
भूख से बिलखते को निवाले दे दो,
खामोश आशियानों से ये कह दो ,
चहकते छप्परों को ताले दे दो ,
जगमगाती रोशनियों से चुरा कर ,
माटी के दीपक को उजाले दे दो ,
जो कहते गरीबी को मानसिक अवस्था ,
उनके पीठ और पैर में छाले दे दो ...........
दे दो दुनिया को ये खबर .....हाँ ये खबर, मेरे हवाले दे दो .......
अनिल कुमार सिंह
चहकते छप्परों को ताले दे दो ,
जगमगाती रोशनियों से चुरा कर ,
माटी के दीपक को उजाले दे दो ,
जो कहते गरीबी को मानसिक अवस्था ,
उनके पीठ और पैर में छाले दे दो ...........
दे दो दुनिया को ये खबर .....हाँ ये खबर, मेरे हवाले दे दो .......
अनिल कुमार सिंह
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