नई दुनियाँ , नई यादों का समुंदर होगा ,
चाँद के पहरे में सितारों का मंज़र होगा ,
नम रातों में नम मुलाक़ातें होंगी ,
महकी फिज़ाओं में बहकी हुयी बातें होंगी ,
मेरी यादों को सीलन से बचाते रहना,
तुम इन्हें धूप ओ' छाँव दिखाते रहना.........
वरना सर्द मौसम में कोहरे की परत जम जाती है ........
अनिल कुमार सिंह
art by self
चाँद के पहरे में सितारों का मंज़र होगा ,
नम रातों में नम मुलाक़ातें होंगी ,
महकी फिज़ाओं में बहकी हुयी बातें होंगी ,
मेरी यादों को सीलन से बचाते रहना,
तुम इन्हें धूप ओ' छाँव दिखाते रहना.........
वरना सर्द मौसम में कोहरे की परत जम जाती है ........
अनिल कुमार सिंह
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