छद्म चेहरों ,छद्म बातों ,
छद्म मुस्कुराहटों से,
सत्य मिलता है उलझ कर
अपनी साँसों से,
नत मस्तक खड़ा रहता है
सड़क के किनारे,
देखता है फर्राटा भरते,
लोभ,दंभ और अनाचार को ,
उसके लिए सड़क
खून से सना हुआ अखबार है,
सत्य में अब वो साहस नहीं,
अत्यधिक कुचले जाने से ,
कमजोर दिल हो गया है
अपनी ही मौत की खबर को अखबारों में पढ़ नहीं पाता ....
छद्म मुस्कुराहटों से,
सत्य मिलता है उलझ कर
अपनी साँसों से,
नत मस्तक खड़ा रहता है
सड़क के किनारे,
देखता है फर्राटा भरते,
लोभ,दंभ और अनाचार को ,
उसके लिए सड़क
खून से सना हुआ अखबार है,
सत्य में अब वो साहस नहीं,
अत्यधिक कुचले जाने से ,
कमजोर दिल हो गया है
अपनी ही मौत की खबर को अखबारों में पढ़ नहीं पाता ....
अनिल
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