चाँद सुनाता रहा तेरे किस्से रात भर,
कितनें फासले से तेरे आस पास रहता है,
नाम लिखता है कोई मेरा हवाओं में,
लिपट कर तकिये से कोई रात भर सुबकता है,
कई टुकड़े कागज़ों के अपने हाथ में लिये,
मेरा पता जानने की मिन्नतें वो करता है,
बेखुदी में हरदम रहता है ख्यालों में,
आइने में अब कभी सजता न सँवरता है,
रोक लेता है अपनी धड़कनों के शोर को,
जब भी कोई उसके करीब से गुजरता है,
रात निकल गई तेरी चाहत के किस्सों से,
ऐसे भी भला कोई मुहब्बत किया करता है..
चाँद सुनाता रहा तेरे किस्से रात भर...💞💞💞
कितनें फासले से तेरे आस पास रहता है,
नाम लिखता है कोई मेरा हवाओं में,
लिपट कर तकिये से कोई रात भर सुबकता है,
कई टुकड़े कागज़ों के अपने हाथ में लिये,
मेरा पता जानने की मिन्नतें वो करता है,
बेखुदी में हरदम रहता है ख्यालों में,
आइने में अब कभी सजता न सँवरता है,
रोक लेता है अपनी धड़कनों के शोर को,
जब भी कोई उसके करीब से गुजरता है,
रात निकल गई तेरी चाहत के किस्सों से,
ऐसे भी भला कोई मुहब्बत किया करता है..
चाँद सुनाता रहा तेरे किस्से रात भर...💞💞💞
अनिल
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