काश! वही किस्सा, फिर से जवान हो जाए,
जर्रा जर्रा ये ज़मीं, आसमान हो जाए,
एक भूली हुई दस्तक से, खिल उठे दर मेरा,
वो जो बिछड़ा था कभी , मेरा मेहमान हो जाए.....
जर्रा जर्रा ये ज़मीं, आसमान हो जाए,
एक भूली हुई दस्तक से, खिल उठे दर मेरा,
वो जो बिछड़ा था कभी , मेरा मेहमान हो जाए.....
अनिल
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