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Sunday, 31 July 2016

तुम स्वप्न ,मैं सत्य

केश राशि आकाश सी विस्तृत,
मस्तक पर है चाँद का टीका,
सजे हुये आँचल पे सितारे,
शीतल मद बयार की खुशबू,
आसमान में तुम छाई हो ,,,,,

फिर दूर कहीं दिखता है मुझको,
एक बड़े तालाब किनारे,
विशाल सूखा वृक्ष अकेला,
निर्जीव नीड़ लिए बाहों में,
मुझको लगता मेरे जैसा ,

आसमान क्यों स्वप्न दिखाता,
धरती कितना सत्य .......
तुम मेरे लिए स्वप्न हो सचमुच ,
मैं मेरे लिए सत्य .......





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