daideeptya
Search This Blog
Sunday, 31 July 2016
चांदनी बेताब है
दीवारो पर जागते पर्दों, तुम भी थक गए हो सो जाओ,
चांदनी बेताब है, चुपके से मेरी यादों में घुल जाने को...
अनिल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment