जब टूटते हो तुम,
या हारते हो,
मैं तुम्हारे
सबसे करीब होती हूं,
तुम्हारे राेग में,
विषाद में, वियोग में,
शोक में, दोष में,
तुम्हें सहलाती हूँ मैं,
तुम जानकर भी
अजनबी से
रहते हो मुझसे ,
जिस दिन तुम्हें
हारता देखूंगी खुद से,
तुम्हें सदा के लिए,
गले से लगा लूंगी,
जानना चाहते हो तो सुनोंं,
मैं मौत हूँ,
तुम्हारी,
सिर्फ तुम्हारी,
हमसफ़र.... मौत
अनिल कुमार सिंह
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