गगन धरा का मिलन
कब हुआ था?
कब हुआ है?
भ्रम ही था , कि
दूर क्षितिज पर,
गगन ये
धरती से मिलता है ,
हाँ!
गगन के स्वप्नों से ही
धरती ने
श्रृंगार किया है ,
सजल गगनमेघों ने
झुक कर ,
धरती को
प्रतिप्यार दिया है.,
रही परस्पर
निश्चित दूरी,
आलिंगन है
कहाँ जरूरी .....
कब हुआ था?
कब हुआ है?
भ्रम ही था , कि
दूर क्षितिज पर,
गगन ये
धरती से मिलता है ,
हाँ!
गगन के स्वप्नों से ही
धरती ने
श्रृंगार किया है ,
सजल गगनमेघों ने
झुक कर ,
धरती को
प्रतिप्यार दिया है.,
रही परस्पर
निश्चित दूरी,
आलिंगन है
कहाँ जरूरी .....
No comments:
Post a Comment