Search This Blog

Sunday, 31 July 2016

दर्द के साथी दिखाई नहीं देते

लहराता समुंदर,
ठहरी सी झील,
छलकते प्याले,
सब, ऑंखों में दिखे,
काश! नदी भी समझ सकता कोई,
या कोई झरना,
दर्द के साथी दिखाई नहीं देते .....

अनिल

No comments:

Post a Comment