लहराता समुंदर,
ठहरी सी झील,
छलकते प्याले,
सब, ऑंखों में दिखे,
काश! नदी भी समझ सकता कोई,
या कोई झरना,
दर्द के साथी दिखाई नहीं देते .....
ठहरी सी झील,
छलकते प्याले,
सब, ऑंखों में दिखे,
काश! नदी भी समझ सकता कोई,
या कोई झरना,
दर्द के साथी दिखाई नहीं देते .....
अनिल
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