भोर की पहली किरण से,
मुस्करा कर खिल गई,
फिर हुआ मदहोश भँवरा ,
भूख है या है मुहब्बत,,,,,,,
जल में जल की प्यासी सीपी,
मुंह खोलती एक बूंद को ,
और पनपता एक मोती,
भूख है या है मुहब्बत.....
तड़ित तरंगों के चुंबन और,
श्यामवर्ण आकाश के बादल ;
प्यास बुझाते हैं धरती की ,
भूख है या है मुहब्बत ....
भूख मुहब्बत के पहले चलती है,
जहां भूख है, मुहब्बत वहाँ पलती है ........
मुस्करा कर खिल गई,
फिर हुआ मदहोश भँवरा ,
भूख है या है मुहब्बत,,,,,,,
जल में जल की प्यासी सीपी,
मुंह खोलती एक बूंद को ,
और पनपता एक मोती,
भूख है या है मुहब्बत.....
तड़ित तरंगों के चुंबन और,
श्यामवर्ण आकाश के बादल ;
प्यास बुझाते हैं धरती की ,
भूख है या है मुहब्बत ....
भूख मुहब्बत के पहले चलती है,
जहां भूख है, मुहब्बत वहाँ पलती है ........
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