Search This Blog

Sunday, 31 July 2016

भूख है या है मुहब्बत

भोर की पहली किरण से,
मुस्करा कर खिल गई,
फिर हुआ मदहोश भँवरा ,
भूख है या है मुहब्बत,,,,,,,

जल में जल की प्यासी सीपी,
मुंह खोलती एक बूंद को ,
और पनपता एक मोती,
भूख है या है मुहब्बत.....

तड़ित तरंगों के चुंबन और,
श्यामवर्ण आकाश के बादल ;
प्यास बुझाते हैं धरती की ,
भूख है या है मुहब्बत ....

भूख मुहब्बत के पहले चलती है,
जहां भूख है, मुहब्बत वहाँ पलती है ........



No comments:

Post a Comment