शाम के दर्पण में ,
संवर रहा था चाँद,
कि सितारों ने,
आँचल सजाने से
इंकार कर दिया,
रात के दर्द ने
आसमां को
कर दिया मेघमय,
ये मेघ चकई की
आँखों से बरसे .... ,
संवर रहा था चाँद,
कि सितारों ने,
आँचल सजाने से
इंकार कर दिया,
रात के दर्द ने
आसमां को
कर दिया मेघमय,
ये मेघ चकई की
आँखों से बरसे .... ,
चाँद जाने कहाँ खो गया .......
अनिल
अनिल
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