गले मिल के भीगी लहरें ,
किनारों से कहती हैं,
तुमसे मिलने के लिए ,
हम बड़ी दूर से आए.....
अंजाम से वाकिफ़ थे,
तेरी बाहों में दम निकले,
इसी ख्याल में हम न जाने,
किस किस से टकराए...
बरसों इसी तसल्ली में
जागा किये थे हम,
कि अब तूं नज़र आए,
कि अब तूं नज़र आए........
किनारों से कहती हैं,
तुमसे मिलने के लिए ,
हम बड़ी दूर से आए.....
अंजाम से वाकिफ़ थे,
तेरी बाहों में दम निकले,
इसी ख्याल में हम न जाने,
किस किस से टकराए...
बरसों इसी तसल्ली में
जागा किये थे हम,
कि अब तूं नज़र आए,
कि अब तूं नज़र आए........
अनिल
No comments:
Post a Comment