झोलियों में स्वप्न लादे,
शांत चित्त में लक्ष्य साधे,
वज्र कर अपने इरादे,
चल पड़े हम भी अभागे,
आत्मा आकाश कर लें ,
खुद को इक संसार कर लें,
प्रेम की सरिता बहाकर ,
जिंदगी साकार कर लें ..
रास्ते कब तक छलेंगे ,
मरते दम तक हम चलेंगे,
जब ये तन निर्जीव होगा,
दीप बनकर हम जलेंगे.
अनिल
शांत चित्त में लक्ष्य साधे,
वज्र कर अपने इरादे,
चल पड़े हम भी अभागे,
आत्मा आकाश कर लें ,
खुद को इक संसार कर लें,
प्रेम की सरिता बहाकर ,
जिंदगी साकार कर लें ..
रास्ते कब तक छलेंगे ,
मरते दम तक हम चलेंगे,
जब ये तन निर्जीव होगा,
दीप बनकर हम जलेंगे.
अनिल
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